लेखनी प्रतियोगिता -10-Feb-2024 "तेरा रूप"
"तेरा रूप"
तेरे रूप का क्या गुण गान करूँ तू है चंदन की खुशबू सी।
गुजरे तू जहाँ कहीं से भी बज उठे वहीं सतरंगी सरगम सी।।
आँखों में ताज़गी गंगा जल सी होठों पे रंगत शरबत सी।
देखे जो हो जाए दिवाना तेरा तू है मन्दिर के दीपक की लौ जैसी।।
चलती है जब तू बल खा कर लगती है बहती नदियाँ सी।
संगीत छलक उठता है दिल से तब लगती हो तुम वीणा सी।।
केशु कुंदन से दमके है चेहरे की रंगत तेरी चांदी सी।
देखूं जब भी तुझको तो वीराने में कलियाँ खिल जाए सी।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 11:24 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Ansari prins
11-Feb-2024 07:29 AM
बेहतरीन
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Gunjan Kamal
10-Feb-2024 10:42 PM
बहुत खूब
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